हमें प्रभु! दो ऐसा वरदान -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

Prev.png
राग विहाग - तीन ताल


हमें प्रभु! दो ऐसा वरदान।
तन-मन-धन अर्पण कर सारा, करें सदा गुण-गान॥
कभी न तुमसे कुछ भी चाहें, सुख-सम्पति-समान।
अतुल भोग परलोक-लोक के खींच न पायें ध्यान॥
हानि-लाभ, निन्दा-स्तुति सम हों, मान और अपमान।
सुख-दुख विजय-पराजय सम हों, बन्धन-मोक्ष समान॥
निरखें सदा माधुरी मूरति, निरुपम रसकी खान।
चरण-कमल-मकरन्द-सुधा का करें प्रेमयुत पान॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः