हमहिं कह्यौ हो स्याम दिखावहु -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


हमहिं कह्यौ हो स्याम दिखावहु।
देखहु दरस नैन भरि नीकै, पुनि पुनि दरस न पावह।।
बहुत लालसा करति रही तुम, वै तुम कारन आए।
पूरी साध मिली तुम उनकौ, यातै हमहिं भुलाए।।
नीकै सगुन आजु ह्याँ आई, भयौ तुम्हारौ काज।
सुनहु ‘सूर’ हमकौ कछु दैहौ, तुमहिं मिले ब्रजराज।।1766।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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