हनुमान अंगद के आगैं -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू
हनुमान-प्रत्यागमन


 
हनुमान अंगद के आगैं लंक-कथा सब भाषी।
अंगद कही भली तुम कीनी, हम सबकी पति राखी।
हरषवंत ह्वै चले तहाँ तैं मग मैं विलम न लाई।
पहुँचे आइ निकट रघुवर कैं, सुग्रिव आयौ धाई।
सबनि प्रनाम कियौ रघुपति कौं अगद वचन सुनायौ।
सूरदास प्रभु-पद-प्रताप करि, हनू सीय सुधि ल्यायौ॥102॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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