हँसि-हँसि झूलत फूल-हिंडोरें -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव लीला माधुरी

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राग मल्हार - तीन ताल


हँसि-हँसि झूलत फूल-हिंडोरें।
प्यारी-प्रीतम फूलनि फूले, फूले उर कर जोरें॥
फूलन कौ लहँगा, फूलन कौ पीतांबर अति सोहै।
फूलन के सिर मुकुट-चंद्रिका देखत ही मन मोहै॥
फूलन के तोसक-तकिया मृदु, फूलनि आसन राजैं।
फूलन के पहिरें भूषन तन सुंदर दो‌उ बिराजैं॥
फूलत-झूलत दै गर बैयाँ फूले अँग-‌अँग सारे।
फूले नयन नचावत दो‌ऊ रतनारे अनियारे॥
फूलनि साज सजी सखिगन सब फूलनि माँग सँवारी।
फूल सजे कर फूल-चँवर लै ढुरवति मृदु सखि प्यारी॥
परमानंद झुलावति कर लै फूल रेसमी डोरी।
मृदु-मृदु झोटा देत मुदित मन फूलि रहीं सब गोरी॥
राधा-माधव-नेहरूप सुचि फूलन की फुलवारी।
बाँटि रही सुषमा-सुगंध निज दिय उच्च मनवारी॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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