स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

Prev.png
राग मालकोस - तीन ताल


स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि!
कृष्णप्रिया, कृष्णगतप्राणा, कृष्णा, कीर्तिकुमारि॥
नित्य निकुंजेस्वरि, रासेस्वरि, रसमयि, रस-‌आधार।
परम रसिक रसराजाकर्षिनि, उज्ज्वल-रस की धार॥
हरिप्रिया, अहलादिनि, हरि-लीला-जीवन की मूल।
मोहि बनाय राखु निसि-दिन निज पावन पद की धूल॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः