स्याम राम मथुरा तजि -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग कल्यान


स्याम राम मथुरा तजि, नंद व्रजहिं आए ।
बार बार महरि कहति, जनम धिक कहाए ।।
कहूँ कहति सुनी नहीं दसरथ, की करनी ।
यह सुनि नंद व्याकुल ह्वै, परे मुरछि धरनी ।।
टेरि टेरि पुहुमि परतिं, व्याकुल व्रजनारी ।
‘सूरज’ प्रभु कोन दोष, हमकौं जु बिसारी ।। 3129 ।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः