स्याम बलराम यह सुनत धाए -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग मारू



स्याम बलराम यह सुनत धाए ।
आइ नारद कह्यौ द्वारिकानाथ सौ, बानासुर कुँवर अनिरुद्ध बँधाए ।।
छोहिनी दोइ दस हुतौ हरि सँग कटक, जात ही नगर ताकौ लुटायौ ।
रुद्र भगवान अरु बान सात्यकि भिरे, राम कुभाड माड़ी लड़ाई ।
सैनपति कोपि कै प्रद्युम्न सो भिरयौ साब कूपकरन दोउ भिरे जाई ।।
तेज भगवान को पाइ जादव भिरे, असुर दल चल्यौ सबही पराई ।
रुद्र तब कोप करि अग्नि बरषा करी, स्याम जल बरषि डारयौ बुझाई ।।
पुनि महादेव जो बान सधान कियौ, आपु भगवान ताकौ प्रहारयौ ।
देखि यह जुद्ध सुर असुर चकित भए, लख्यौ तब बान जो रुद्र धारयौ ।।
बान तब आइ भगवान सन्मुख भयौ, बान बरषा लग्यौ करन भारी ।
एकहू बान आयौ न हरि कै निकट, तब गह्यौ धनुष सारंगधारी ।।

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