स्याम गए जुवतिनि संग त्यागि। चकित भईं तरुनी सब जागि।।
प्यारी संग लगाइ बिहारी। कुंजलता-तर कतहूँ डारी।।
संग नहीं तहँ गिरिवरधारी। दसहु-दिसा-तन दृष्टि पसारी।।
परी मुरछि धरनी सुकुमारी। काम बैर लीन्हौ सर मारी।।
त्राहि-त्राहि, कहि-कहि बनवारी। भई व्याकुल तनु-दसा बिसारी।।
नैन सलिल भीजी सब सारी। सूर संग तजि गए मुरारी।।1105।।