सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सोरठ


सो सुख नंद भाग्य तैं पायौ।
जो मुख ब्रह्मादिक कौं नाहीं, सोई जसुमति गोद खिलायौ।।
सोइ सुख सुरभि बच्छ बृंदाबन, सोइ सुख ग्वालनि टेरि बुलायौ।
सोइ सुख जमुना-कूल -कदंब चढ़ि, कोप कियौ काली गहि ल्यायौ।।
सुखही सुख डोलत कुंजनि मैं, सब-सुख-निधि बन तैं ब्रज आयौ।
सूरदास-प्रभु सुख-सागर अति, सोइ सुख सेस सहस मुख गायौ।।1209।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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