विषय सूची 1 पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 बाल-माधुरी की झाँकियाँ 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार बाल-माधुरी की झाँकियाँ राग देश - तीन ताल सो छबि छिनहुँ न हिय सों जाई। करत गुपाल ललित लरिकैयाँ मैया लखि सचुपाई॥ इक दिन स्याम रूँठि जननी सों करी निपट लरिकाई। हुमकि पीठ चढ़ि धरि दधि-भाजन गोरस लूट मचाई॥ बानर बोली-बोलि दधि बाँटत, माँगत सोउ किलकाई। सो उतपात निरखि जननी अति आतुर चली रिसाई॥ छरी दिखाइ कहत-’रे कान्हा ! तैं अति धूम मचाई। करिहौं चूर चातुरी तोरी, अब लुकिहै कित जाई’॥ जननि सकोप बिलोकि स्याम तब रहे तहीं ठिठकाई। सो ससंक चितवन मोहन की मुनि-मन लियो चुराई॥ टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपद रत्नाकर वंदना एवं प्रार्थना • श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी • बाल-माधुरी की झाँकियाँ • श्रीराधा माधव लीला माधुरी • श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार • श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति • प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व • श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान • अभिलाषा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः