सैरन्ध्री

सैरन्ध्री महाभारत में एक वर्ष के अज्ञातवास के समय द्रौपदी द्वारा अपनाया गया नाम था।

  • महाभारत में पांडवों के वनवास में एक वर्ष का अज्ञातवास भी था, जो उन्होंने विराट नगर में बिताया।
  • विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान पूर्णत: छुपाकर रहे। उन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष व्यतीत किया।
  • अज्ञातवास के इस एक वर्ष में द्रौपदी ने राजा विराट को अपना नाम सैरन्ध्री बताया।
  • जो स्त्रियाँ शिल्पकर्मों द्वारा जीवन निर्वाह करती हैं, वे अपने सदाचार से स्वत: सुरक्षित होती हैं। ऐसी स्त्रियों को 'सैरन्ध्री' कहते हैं।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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