सूर विनय पत्रिका
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग सारंग
(259) ऐसे (मेरे-जैसे) बहुत से दुष्टों का आपने उद्धार किया है। आपके चरणों के प्रताप और आपके भजन की महिमा का वर्णन कौन कर सकता हैं दुःख में पड़े गजराज, दुष्ट बुद्धि गणिका और (गिरगिट बनकर) कुएँ में पड़े राजा नृग का आपने उद्धार किया। ब्राह्मण (अजामिल) पुत्र के बहाने (आपका नाम लेकर) डंके की चोट (आपके धाम में) चला गया और उसके भारी एवं महान दुःखों का अन्त हो गया। व्याध, गीध (जटायु), गौतम मुनि की पत्नी (अहल्या) ने बताइये तो कौन-सा व्रत धारण किया था (बिना किसी साधन-व्रत के ही आपने उनका उद्धार कर दिया)। केशी, कंस, कुवलयापीड़ हाथी और मुष्टिक- ये सब (दुष्ट हो कर भी आपकी कृपा से) आपके सुखमय धाम में चले गये। पूतना ने (आपको मारने की बुरी नीयत से) विष पीस कर (अपने) स्तनों में लगा लिया था; (पर आपकी उदारता से) उसने माता यशोदा की गति प्राप्त की? धोबी, (कंस के) पहलवान चाणूर, (वह असुर जो कपट से) दावानल (बना था)- आप इन सबके दुःख के नाशक और उन्हें परम सुख देने वाले हैं। (सदा आपकी निन्दा करने वाला) राजा शिशुपाल महापद (वैकुण्ठ-धाम) को पा गया। (किसी का उद्धार करने में) आपने समय-असमय समझा ही नहीं। अघासुर, बकासुर, तृणावर्त, धेनुकासुर को मार कर आपने उनके गुणों का ही ग्रहण किया (और उन्हें सद्गति दी), उनके दोषों को माना ही नहीं (दोषों पर ध्यान ही नहीं दिया)। द्रौपदी कौरव-सभा में वस्त्रहीन की जा रही थी, उसके लिये आपने करोड़ों वस्त्र पूर्ण कर दिये (उसका वस्त्र अपार बढ़ा दिया)। विपत्ति के समय जहाँ भी किसी ने आपको स्मरण किया, आप उसी समय वहाँ उठकर दौड़े गये। गोप, गायें, बछड़े- सब (प्रलय-वृष्टि के) जल से कष्ट पा रहे थे (उनकी रक्षा के लिये) आपने हाथ पर गिरिराज गोवर्धन को उठा लिया। (किंतु नाथ!) सदा के इस दीन-हीन, अपराधी (पापी) सूरदास को ही आपने क्यों विस्मृत कर दिया? (मुझ पर आप कृपा क्यों नहीं करते?) |
संबंधित लेख
क्रम संख्या | पद | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज