सुनि री राधा अबहि नई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल


सुनि री राधा अबहि नई।
बातै कहा बनावति मोसौ, हमहूँ तै तू चतुर भई।।
कहाँ ग्वाल, कहँ हार तुम्हारौ, कहाँ कहाँ तू आजु गई।
मनही जानि लेहि मैं जान्यौ, जाकै रँग तू सदा रई।।
तेरे गुन परगट करिहौ मैं, ऐसी री कबहूँ न भई।
'सूर' स्याम सँग जब तै कीन्ही, तब ही तै मैं जानि लई।।2012।।

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