सुदर्शन सिंह चक्र

सुदर्शन सिंह चक्र
सुदर्शन सिंह चक्र
पूरा नाम सुदर्शन सिंह चक्र
जन्म 4 नवम्बर, 1911
जन्म भूमि भेलहटा गांव, काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितम्बर, 1989
अभिभावक रामकिशोर सिंह
मुख्य रचनाएँ श्री रामचरित, श्री शिवचरित, श्रीकृष्णचरित, श्रीहनुमानचरित आदि
विषय धार्मिक एवं आध्यात्मिक
भाषा हिन्दी
विशेष योगदान धार्मिक, आध्यात्मिक विषयों पर 80 से ज़्यादा पुस्तकें लिखकर साहित्य-साधना की।
नागरिकता भारतीय

सुदर्शन सिंह चक्र (जन्म: 4 नवम्बर, 1911 - मृत्यु: 25 सितम्बर, 1989) महान भक्त हृदय साधक, साहित्य सेवी, एक अनूठे दार्शनिक एवं सिद्ध संत थे। इनका जन्म काशी क्षेत्र के भेलहटा गांव के एक कृषक रामकिशोर सिंह के घर हुआ था।

  • युवावस्था में सन 1929 में वे कोलकाता चले गए। वहाँ उन्होंने एक अंग्रेज़ी कम्पनी में काम करना शुरू किया। स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर एक दिन वे विशुद्ध खादी के वस्त्र पहनकर कार्यालय गए। अंग्रेज़ अधिकारी ने चिढ़कर उन्हें तुरन्त नौकरी से हटा दिया। उन्होंने व्रत लिया था कि वे ग़ुलाम देश में विवाह नहीं करेंगे। अप्रैल 1930 में चन्दौली (काशी) क्षेत्र में उन्होंने नमक सत्याग्रह आन्दोलन के संचालन में सक्रिय भाग लिया।
  • वे काशी में संत-महात्माओं के सम्पर्क में आए तथा अपना जीवन धर्म और भारतीय संस्कृति की सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
  • उन्होंने 1931 से 1941 तक धार्मिक मासिक "संकीर्तन' तथा कई वर्षों तक "मानस मणि' तथा 'श्रीकृष्ण सन्देश' पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
  • जयदयाल डालमिया की प्रेरणा पर सुदर्शन सिंह चक्र जी ने श्री रामचरित, श्री शिवचरित, श्रीकृष्णचरित, श्रीहनुमानचरित जैसे ग्रंथ लिखे।
  • वे श्रीकृष्ण के साथ-साथ हनुमानजी के भी परम उपासक थे।

साहित्यिक परिचय

उन्होंने 1931 से 1941 तक धार्मिक मासिक "संकीर्तन' तथा कई वर्षों तक "मानस मणि' तथा 'श्रीकृष्ण सन्देश' पत्रिकाओं का सम्पादन किया। जयदयाल डालमिया की प्रेरणा पर सुदर्शन सिंह चक्र जी ने श्री रामचरित, श्री शिवचरित, श्रीकृष्णचरित, श्रीहनुमानचरित जैसे ग्रंथ लिखे। असंख्य ऐतिहासिक तथा धार्मिक कहानियां लिखकर उन्होंने धार्मिक साहित्य के भण्डार में अभिवृद्धि की। शुक्रताल तीर्थ में हनुमद्धाम की स्थापना में सहयोग किया। वे श्रीकृष्ण के साथ-साथ हनुमानजी के भी परम उपासक थे।

कृष्ण कोश पर उपलब्ध पुस्तकें

  1. भगवान वासुदेव
  2. पार्थ सारथि
  3. नन्दनन्दन
  4. श्री द्वारिकाधीश

निधन

25 सितम्बर, 1989 को वे ब्रह्मलोक प्रयाण कर गए। उनके द्वारा रचित धार्मिक साहित्य युग-युगों तक नैतिकता की प्रेरणा देता रहेगा।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः