सहज गीता -स्वामी रामसुखदास
छठा अध्याय(आत्म संयम योग)अर्जुन ने पुनः प्रश्न किया- हे कृष्ण! जिसकी साधन में श्रद्धा तो है, पर साधन में तत्परता नहीं है, उसका मन यदि अंत समय में अपनी साधना से हट जाय तो फिर उसकी क्या गति होगी? वह कहाँ जाएगा? हे महाबाहो! उसने संसार का आश्रय तो छोड़ दिया और परमात्मा को प्राप्त नहीं किया, अंत समय में परमात्मा का स्मरण भी नहीं हुआ- इस प्रकार दोनों ओर (संसार और परमार्थ)- से भ्रष्ट हुआ वह साधक छिन्न-भिन्न बादल की तरह नष्ट तो नहीं हो जाता? हे कृष्ण! मेरे इस संदेह को आप ही सर्वथा मिटा सकते हैं; क्योंकि इस संशय को आपके सिवाय दूसरा कोई मिटा ही नहीं सकता। |
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