समुद्र मंथन पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है जिसमें देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था।
- समुद्र मंथन के समय ग्यारहवाँ अवतार धारण करके कच्छप रूप से भगवान विष्णु ने मन्दराचल को अपनी पीठ पर धारण किया था।
- मन्दराचल को मथानी और वासुकि नाग को रस्सी बनाकर देवता और दैत्य के द्वारा समुद्र का मंथन आरम्भ किया गया था।
- इसमे चौदह (14) रत्नों की प्राप्ति हुई थी जो कि निम्नलिखित हैं-
- हलाहल (विष)
- कामधेनु
- उच्चै:श्रवा (अश्व)
- ऐरावत हाथी
- कौस्तुभ मणि
- कल्पद्रुम
- रंभा
- लक्ष्मी
- वारुणी (मदिरा)
- चन्द्रमा
- पारिजात वृक्ष
- पांचजन्य शंख
- धन्वन्तरि (वैद्य)
- अमृत
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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