संग मिलि कहौ कासौ बात -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग नट


  
सग मिलि कहौ कासौ बात।
यह तौ कहत जोग की बातै, जामै रस जरि जात।।
कहत कहा पितु मातु कौन के, पुरुष नारि कह नात।
कहाँ जसोदा सी है मैया, कहाँ नंद सम तात।।
कहँ वृषभानुसुता सँग कौ सुख, वह बासर वह प्रात।
सखी सखा सुख नहिं त्रिभुवन मैं, नहिं बैकुंठ सुहात।।
वै बातै कहिऐ किहि आगै, यह गुनि हरि पछितात।
'सूरदास' प्रभु ब्रज महिमा कहि, लिखी बदत बल भ्रात।। 3415।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः