सँग सोभित वृषभानुकिसोरी -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावल


सँग सोभित वृषभानुकिसोरी।
सारँग नैन, बैन वर सारँग, सारँग बदन, कहै छवि कोरी।।
सारँग अधर, सुघर कर सारँग, सारँग जति सारँग मति भोरी।
सारँग वरन, पीटि पर सारँग, सारँग गति, सारँग कटि थोरी।।
सारँग पुलिन, रजनि रुचि सारँग, सारँग अंग सुभग भुज जोरी।
बिहरत सघन कुंज सखि निरखति, 'सूर' स्याम घन, दामिनि गोरी।।2173।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः