श्री जादौपति व्याहन आयौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल



श्री जादौपति व्याहन आयौ ।
धनि धनि रुकमिनि हरि बर पायौ ।।
स्याम घन हरि परम सुंदर, तड़ित बसन बिराजई ।
अंग भूषन ‘सूर’ ससि पूरन कला मनु राजई ।।
कमल मुख कर कमल लोचन कमल मृदु पद सोहई ।
कमल नाभि कपोल सुदर, निरखि सुर मुनि मोहई ।।

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