श्रीमद्भगवद्गीता साधक-संजीवनी हिन्दी-टीका -स्वामी रामसुखदास
द्वादश अध्याय
साधन कोई भी हो; जब सांसारिक भोग दुःखदायी प्रतीत होने लगेंगे तथा भोगों का हृदय से त्याग होगा, तब (लक्ष्य भगवान होने से) भगवान की ओर स्वतः प्रगति होगी और भगवान की कृपा से ही उनकी प्राप्ति हो जाएगी। इसी तरह जब भगवान परमप्रिय लगने लगेंगे, उनके बिना रहा नहीं जाएगा, उनके वियोग में व्याकुलता होने लगेगी, तब शीघ्र ही भगवान की प्राप्ति हो जाएगी। संबंधः भगवान ने निर्गुण-निराकार ब्रह्म और सगुण-साकार भगवान की उपासना करने वाले उपासकों में सगुण-उपासकों को श्रेष्ठ बताकर अर्जुन को सगुण-उपासना करने की आज्ञा दी। सगुण-उपासना के अंतर्गत भगवान ने आठवें से ग्यारहवें श्लोक तक अपनी प्राप्ति के चार साधन बताये। अब तेरहवें से उन्नीसवें श्लोक तक भगवान पाँच प्रकरणों में चारों साधनों से सिद्धावस्था को प्राप्त हुए अपने प्रिय भक्तों के लक्षणों का वर्णन करते हैं। पहला प्रकरण तेरहवें और चौदहवें दो श्लोकों का है, जिसमें सिद्ध भक्त के बारह लक्षण बताये गये हैं। |
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