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श्रीकृष्ण माधुरी -सूरदास
अनुवादक - सुदर्शन सिंह
राग धनाश्री90 ( सखी सखीसे कहती है- ) हमने नन्दनन्दनको इस वेषमे देखा-मनोहर श्याम शरीरपर पीला वस्त्र ( ऐसा लग रहा था ) मानो नीले मेघपर स्वच्छन्द बिजली स्थिर हो । मन्द-मन्द वंशी-ध्वनिकी गर्जना ( के साथ ) अमृतमयी दृष्टि आनन्दकी वर्षा कर रही है । भाँति-भौतिके पुष्पोंकी वनमाला वक्षःस्थलपर ( ऐसी ) है मानो नयी रस्सीसे बँधा इन्द्रधनुष है । मोतियोंकी माला क्या है मानो बगुलोंकी पंक्ति हो मनोहर अंगोमे लगा चन्दन शोभा दे रहा है । सूरदासजी कहते है-देवता मनुष्य तथा मुनिगणोंके भी वन्दनीय मेरे स्वामी कदम्ब-वृक्षके नीचे खडे है । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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