श्रीकृष्ण का दारुक को हस्तिनापुर भेजना

महाभारत मौसल पर्व के अंतर्गत चौथे अध्याय में वैशम्पायन जी ने श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को सूचना देने के लिये दारुक को हस्तिनापुर भेजने का वर्णन किया है, जो इस प्रकार है[1]-

दारुक का हस्तिनापुर गमन

वैशम्पायन जी कहते हैं- राजन! तदनन्तर दारुक, बभ्रु और भगवान श्रीकृष्ण तीनों ही बलराम जी के चरणचिह्न देखते हुए वहाँ चल दिये! थोड़ी ही देर बाद उन्होंने अनन्त पराक्रमी बलराम जी को एक वृक्ष के नीचे विराजमान देखा, जो एकान्त में बैठकर ध्यान कर रहे थे। उन महानुभाव के पास पहुँचकर श्रीकृष्ण ने तत्काल दारुक को आज्ञा दी कि तुम शीघ्र ही कुरूदेश की राजधानी हस्तिनापुर में जाकर अर्जुन को यादवों के इस महासंहार का सारा समाचार कह सुनाओ। ब्राह्मणों के शाप से यदुवंशियों की मृत्यु का समाचार पाकर अर्जुन शीघ्र ही द्वारका चले आवें। श्रीकृष्ण के इस प्रकार आज्ञा देने पर दारुक रथ पर सवार हो तत्काल कुरुदेश को चला गया। वह भी इस महान शोक से अचेत-सा हो रहा था।


टीका टिप्पणी व संदर्भ

  1. महाभारत मौसल पर्व अध्याय 4 श्लोक 1-12

सम्बंधित लेख

महाभारत मौसल पर्व में उल्लेखित कथाएँ


युधिष्ठिर का अपशकुन देखना एवं यादवों के विनाश का समाचार सुनना | शापवश शाम्ब के पेट से मूसल की उत्पत्ति | कृष्ण और बलराम द्वारा मदिरा के निषेध की कठोर आज्ञा | श्रीकृष्ण द्वारा यदुवंशियों को तीर्थयात्रा का आदेश | कृतवर्मा सहित समस्त यादवों का परस्पर संहार | श्रीकृष्ण का दारुक को हस्तिनापुर भेजना | बभ्रु का देहावसान एवं बलराम और कृष्ण का परमधामगमन | अर्जुन का द्वारका एवं श्रीकृष्ण की पत्नियों की दशा देखकर दुखी होना | द्वारका में अर्जुन और वसुदेव की बातचीत | मौसल युद्ध में मरे यादवों का अंत्येष्टि संस्कार | अर्जुन का द्वारकावासियों को अपने साथ ले जाना | समुद्र का द्वारका को डूबोना तथा अर्जुन पर डाकुओं का आक्रमण | अर्जुन का अवशिष्ट यादवों को अपनी राजधानी में बसाना | अर्जुन और व्यास की बातचीत

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः