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श्रीकृष्णकर्णामृतम् -श्रीमद् अनन्तदास बाबाजी महाराज
श्रीश्री गौरविधुर्जयति
श्रीमन्महाप्रभु श्रीकृष्णकर्णामृत के प्रथम शतक के एक सौ बारह श्लोक लिपिबद्ध करा नीलाचल ले आए। प्रभु गंभीरा लीला में विरहिणी श्रीराधा के भाव में अपने अंतरंग पार्षद श्रीस्वरूप दामोदर रामानन्द आदि भक्तों के साथ श्रीगीतगोविन्द, श्रीकृष्णकर्णामृत, विद्यापति-चण्डीदास के पद और रामानन्द राय का ‘जगन्नाथ-वल्लभ’ नाटक – इन सबका आस्वादन करते। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ चै.च. 219
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