शिशु की करुण पुकार सहज सुन -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग भैरवी - ताल कहरवा

शिशु की करुण पुकार सहज सुन, स्नेहमयी माँ आ तत्काल।
मल धो-पोंछ स्व-कर कर देती स्तन्य-सुधा दे उसे निहाल॥
वैसे ही तुम आकर उसके हरते पाप-ताप त्रयशूल।
हृदय लगा उल्लास भरे मुख, देते स्नेह-सुधा सुखमूल॥
करते उसे परम पावन तुम, पूजनीय सबका सब ठौर।
धन्य तुम्हारी दीनबन्धुता! धन्य स्वभाव सकल सिरमौर॥
तब भी मानव दीन न बनता, नहीं छोड़ता वह अभिमान।
इसीलिये वञ्चित रह जाता, कृपासुधा से कृपानिधान!
पूर्ण दैन्य का भाव जगा दो, पूर्ण बना दो अज अमान।
मातृपरायण शिशु-सा उसे बना दो, करुणाकर भगवान!
जिससे वह पा जाये सहज कृपामृत-सागर का संधान।
डूबा उसमें रहे निरन्तर, करता रहे सदा रसपान॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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