शारदीय-पूर्णिमा-सुनिर्मल -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी

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राग शिवञ्जनी - ताल कहरवा


शारदीय-पूर्णिमा-सुनिर्मल-स्निग्ध-सुधावर्षी द्युतिमान।
ज्योत्स्ना-स्मित-समूह-विकसित शुचि शीतल अगणित चन्द्र महान॥
जिनकी विश्व-मोहिनी अंग-द्युति से सब हो जाते म्लान।
परमोज्ज्वल नीलाभ-श्याम वे अनुपम विमल-दीप्ति भगवान॥
परमहंस-‌ऋषि-मुनि-मन-मोहन, गुरु-जन-मोहन मोहन रूप।
श्रुति-सुराङ्गना, स्वयं ब्रह्मविद्या मन-मोहन, परम अनूप॥
विश्वनारि-मन, स्व-मन, शत्रु-मन मोहन, सर्वरूप-‌आधार।
सौन्दर्यामृत-माधुर्यामृत-सागर लहराता सुख-सार॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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