विषय सूची
श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
पष्ठ शतकम्
स्थूल कटि देश में साड़ी पर किंकणी शोभायमान हो रही है, चरणकमलों में शोभायमान मनोज्ञ नूपुर विराजमान हैं, कुचमुकुलों पर चोली के ऊपर हारसमूह इधर-उधर डोलायमान होकर अति शोभित हो रहे हैं। इस प्रकार की स्वर्णगौरांगी श्रीराधासीगण का स्मरण कर।।83।।
मणि-स्वर्ण-जड़ित बहुमूल्य मुक्तादि से उनकी नासिका शोभित हो रही है, घने केशयुक्त वेणी में रत्नों के गुच्छे प्रकाशित हो रहे हैं, अनुपम स्वर्णचन्द्रज्योतिवत्-मण्डल सुमधुर मृदु हास्य से उज्ज्वल हो रहा है, एवं नवीन तारुण्य, लीला और कांतिधारा से वे अनुपम जगन्मोहिनी मूर्त्ति धारण कर रही हैं।।84।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज