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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
पंचमं शतकम्
दिव्य अनन्त अद्भुततम महा रमणीय अनेक प्रकार के वृक्ष तथा वल्लीसमूह समस्त दिव्य ऋतुओं में अति उत्तम महाफल एवं अनेक कुसुम प्रदान करते हैं। ये श्रीराधा-कृष्ण के प्रधान प्रीतिपात्र हैं, ये चिद्घनरूप एवं अपनी इच्छानुरूप रूपधारण करने वाले हैं, श्रीवृन्दावन में समस्त पुरुषर्थों को दान करने में परम उदर हैं, मैं इन वृक्षवल्ली-समूह को स्मरण करता हूँ।।92।।
श्रीवृन्दावन के वृक्षराजों ने- अनेक प्रकार के विलक्षण (सुलक्षण) फलों से नानाविधि पुष्पों के विकास से, सुन्दर-सुन्दर नाना विधि पल्लवगुच्छ कलिकाओं से, एवं नाना प्रकार की आश्चर्य जनक इधर-उधर संचारित सौरभ से तथा आनन्द-क्रीड़ामत्त कोलाहल-मुखरित नाना विधि आश्चर्यमय पक्षी-समूह से, मेरे मन को हरण कर लिया है।।93।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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