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श्रीवृन्दावन महिमामृतम् -श्यामदास
द्वितीयं शतकम्
रसपुंज वृन्दावन के नवीन कुंजों में आश्चर्यभाव से खेलनशी स्मराकुल उन गौरनील कान्तिविशिष्ट मोहन किशोर युगल का स्मरण कर।।94।।
श्रीगौरचन्द्र के द्वारा प्रकटित श्रीवृन्दावनतत्त्व, श्रीराधा कृष्ण तत्त्व तथा आत्मतत्त्व सदा सर्वदा स्मरण कर।।95।।
श्री वृन्दावन के कुंज-कुअी समूह की वन्दना मात्र से ही श्रीकृष्णानुराग-सागर का सारभूत अति चमत्कार प्राप्त कर।।96।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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