वह तौ मेरी गाइ न होइ।
सुनि मैया बिरथा भरम्यौ, बन देख्यौ नैननि भरि जोइ।।
बृंदाबन ढूंढयौ जमुनातट, देख्यौ बन डीगरनि मँझारि।
सखा संग कोउ नहीं अकेली, काँध कमरि, कर लकुटी धारि।।
वह तौ धेनु और काहू की, जुवती एक मिली धौ कौन।
'सूर' संग मेरै वह आई, मोकौ उहि पहुँचायौ भौन।।2005।।