वनचर, कौन देस तैं आयौ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मलार


 
वनचर, कौन देस तैं आयौ?
कहाँ वै राम कहाँ वै लछिमन, क्यौं करि मुद्रा पायौ?
हौं हनुमंत, राम कौ सेवक, तुम सुधि लैन पठायौ।
रावन मारि, तुम्हैं लै जातौ, रामाज्ञा नहिं पायौ।
तुम जनि डरपौ मेरी माता, राम जोरि दल ल्यायौ।
सूरदास रावन कुल-खोवन, सोवत सिंह जगायौ॥88॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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