लै भैया केवट, उतराई -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग मारू
लक्ष्‍मण-केवट-संवाद


 
लै भैया केवट, उतराई ।
महाराज रघुपति इत ठाढ़े , ते कत नाव दुराई?
अबहिं सिला तैं भई देव-गति, जब पग-रेनु छुवार्इ।
हौं कुटुंब कहैं प्रतियारौं, वैसी मति ह्वै जाई।
जाकी चरन रेनु की महि मैं, सुनियत अधिक बड़ाई।
सूरदास प्रभु अगनित महिमा, वेद पुराननि गाई॥40॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः