लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी -पद्माकर लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी। त्यों पदमाकर साँझ हिते सिगरी निसि केलि कला परगा सी। फूलत फूल गुलाबन के चटकाहट चौंक चली चपला - सी। कान्ह के कानन आँगुरी नाइ, रही लपटाइ लवंग लता- सी। संबंधित लेख - वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः