लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी -पद्माकर

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लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी -पद्माकर


लै पटपीत भले पहिरे पहिराय पियै चुनि चूनरि खासी।
त्यों पदमाकर साँझ हिते सिगरी निसि केलि कला परगा सी।
फूलत फूल गुलाबन के चटकाहट चौंक चली चपला - सी।
कान्ह के कानन आँगुरी नाइ, रही लपटाइ लवंग लता- सी।

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