लकड़ी एक अनार की।
जै बोलो गोप-कुमार की॥
लकड़ी एक प्रियाल की।
जै बोलो नँद के लाल की॥
लकड़ी एक पलास की।
जै बोलो जगन्निवास की॥
लकड़ी एक खजूर की।
जै बोलो रस-भरपूर की॥
लकड़ी एक बदाम की।
जै बोलो रूप ललाम की॥
लकड़ी एक बबूल की।
जै बोलो जग के मूल की॥
लकड़ी एक सुपारी की।
जै बोलो बिपिन-बिहारी की॥
लकड़ी एक अँजीर की।
जय बोलो प्रेम-अधीर की॥