लंकपति कौं अनुज सीस नायौ -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

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राग मारू
विभीषण-रावण-सँवाद


 
लंकपति कौं अनुज सीस नायौ।
परम गंभीर, रनधीर दसरथ-तनय, कोप करि सिंधु कैं तीर आयौ।
सीय कौं लै मिलौ, यह मतौ है भलौ कृपा करि मम वचन मानि लीजै।
ईस कौ ईस, करतार संसार कौ, तासु पद-कमल पर सीस दीजै।
कह्यौ लंकेस दै ठेस पग की तबै, जाहि मति-मूढ़ कायर, डरानौ।
जानि असरन-सरन सूर के प्रभू कौं तुरतहीं आइ दारैं तुलानौ॥111॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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