राम रतन धन पायो मैया, मैं तो राम रतन धन पायो। (टेक)
खरचे ना घू(खू)टे, वाकूँ चोर न लूटे, दिन दिन होत सवायो।।1।।
नीर न डूबै वाकूँ, अग्नि न जाले, धरनी धर्यो न समायो।।2।।
नाँव को नाँव भजन की बतियाँ, भवसागर से तार्यो।।3।।
मीराँ प्रभु गिरधर के सरनें, चरण-कमल चित लायो।।4।।[1]