राधे तेरे नैन किधौ री बान।
यौ मारै ज्यौ मुरछि परै धर, क्यौ करि राखै प्रान।।
खग पर कमल, कमल पर कदली, कदली पर हठि ठान।
हरि पर सरवर, सर पर कलसा, कलसा पर ससि भान।।
ससि पर बिंब, कोकिला ता बिच, कीर करत अनुमान।
बीच बीच दामिनि दुति उपजति, मधुप जूथ असमान।।
तू नागरि सब गुननि उजागरि, पूरन कलानिधान।
'सूर' स्याम तव दरसन कारन, व्याकुल परे अजान।।2742।।