राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र पृ. 7

राधा कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र

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श्री राधा चालीसा

यशुमति नन्दन पीछे फिरि हैं।
जो कोउ राधा नाम सुमिरि है।।
रास बिहारिनी श्याम प्यारी।
करहु कृपा बरसाने वारी।।
वृन्दावन है शरण तुम्हारी।
जय जय जय वृषभानु दुलारी।
श्री राधा रासेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम।
करहुं निरन्तर वास मैं, श्री वृन्दावन धाम।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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