विषय सूची 1 पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार 1.1 श्रीराधा माधव लीला माधुरी 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ 3 संबंधित लेख पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा माधव लीला माधुरी राग खमाच - तीन ताल राधा की सुधि करत कन्हाई। कहत रूप-गुन-सील प्रिया के, धीरज चली पराई॥ प्रगटी प्रिया-मूर्ति नभ स्मृति अनुरूप मंजु छबि छाई। मृदु मुसुकान, तदपि मुख-पंकज रह्यौ मनौं कुम्हिलाई॥ थिर सब अंग, नैन नीचे थिर, सहज समाधि लगाई। प्रिय-उर-भाव प्रगट भए सगरे, मूर्तिवंत ह्वै आई॥ लखि लच्छन बिरुद्ध-धर्माश्रय, मगन भए जदुराई। हर्ष-बिषाद भरी मुख-छबि वह हरि-हिय माँझ सरसाई॥ ढरे अश्रु-मुक्ता ऊधौ-दृग, स्नेह-सुधा सरसाई। अकथ कहानी दिय प्रेम की, कैसेहुँ कही न जाई॥ टीका टिप्पणी और संदर्भ संबंधित लेख देखें • वार्ता • बदलेंपद रत्नाकर वंदना एवं प्रार्थना • श्रीराधा माधव स्वरूप माधुरी • बाल-माधुरी की झाँकियाँ • श्रीराधा माधव लीला माधुरी • श्रीकृष्ण के प्रेमोद्गार • श्रीराधा के प्रेमोद्गार-श्रीकृष्ण के प्रति • प्रेम तत्त्व एवं गोपी प्रेम का महत्त्व • श्रीराधा कृष्ण जन्म महोत्सव एवं जय गान • अभिलाषा वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह क्ष त्र ज्ञ ऋ ॠ ऑ श्र अः