मीराँबाई की पदावली
परीक्षा राग पीलू
राणा जो म्हाँरी प्रीत पुरबली मैं काँई करूँ ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इसके पहले दो और पंक्तियाँ भी मिलती हैं:-
बिष का प्याला पीगई जो, भजन करे राठौर ।
थाँरी मारी ना मरूँ, म्हाँरो राखणहारो और । - ↑ पुरवली = पूर्व जन्म की। घड़ी = एक क्षण भी। ठराय = शीतल हो जाता है। भेजनियाँ = खानपान। म्हाँने = अपने। छापा... बना बियाजी = छापा तिलक धारण कर लिया। पेट्याँ = पेटी में = पिटारी में। वासक = वासुकी अर्थात् सर्प। महलाँ = महलों में। राठौड़ा = राठौरों वा राठौर वंश वालों की। धीयड़ी = लड़की। मोतीडाँरो = मोतियों का। राखज्यो = रख लीजिये।
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