राज दियौ सुग्रीव कौं -सूरदास

सूरसागर

नवम स्कन्ध

Prev.png
राग सारंग
सुग्रीव को राज्यि-प्राप्ति


 
राज दियौ सुग्रीव कौं, तिन हरि जस गायौ।
पुनि अंगद कौं बोलि ढिग, या विधि समुझायौ।
होनहार सो होत है, नहिं जात मिटायौ।
चतुरमास सूरज प्रभू, तिहिं ठौर बितायौ॥71॥

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः