राजा (महाभारत संदर्भ) 4

  • शारणिकान् राजा पुत्रवत् परिरक्षति।[1]

राजा शरणागतों की पुत्र की ही भाँति रक्षा करता है।

  • धर्मेण विजयं कोशं लिप्सेत भूमिप:।[2]

राजा धर्म के द्वारा ही विजय और कोश प्राप्त करने की कामना करे।

  • यत्र नास्ति बलात्कार: स राजा तीव्रशासन:।[3]

जिसके राज्य में बलत्कार ना हो वही उग्र शासन वाला राजा अच्छा है।

  • न रक्षति प्रजा: सम्यग् य: स पार्थिवतस्कर:।[4]

जो राजा प्रजा की रक्षा नहीं करता वह राजा नहीं चोर है।

  • राजानो भुञ्जते राज्यं प्रज्ञया तुल्यलक्षणा:।[5]

समान लक्षणों वालों में जो अधिक ज्ञानी है वही राज्य का भोग करता है।

  • सुकृतेनैव राजानो भूयिष्ठं शासते प्रजा:।[6]

शुभकार्मों के बल पर ही राजा लोग अधिक समय तक राज्य करते हैं।

  • न राजानं मृषा गच्छेत्।[7]

राजा के पास कपट से न जायें।

  • नास्त्यसाधारणो राजा।[8]

प्रजा के बिना कोई राजा नहीं होता

  • प्रहरेन्न नरेंद्रेषु।[9]

राजाओं पर प्रहार न करें।

  • धिक् तस्य जीवितं राज्ञो राष्ट्रे यस्यावसीदति।[10]

उस राजा को धिक्कार है जिसके राज्य में कोई कष्ट पाता है।

  • राजा हि धर्मकुशल: प्रथमं भूतिलक्षणम्।[11]

राजा धर्म में कुशल हो यह प्रजा के ऐश्वर्य का पहला लक्षण है।

  • बूयिष्ठं च नरेंद्राणां विद्यते न शुभा गति:।[12]

अधिकतर राजाओं की अच्छी गति नहीं होती।

  • पूजार्हा हि नराधिपा:।[13]

राजा पूजा के योग्य होते हैं।

  • राजा गुरु: प्राणभृताम्।[14]

राजा सभी प्राणियों का गुरु होता है।

  • अवश्यं नरकस्तात द्रष्टव्य: सर्वराजभि:।[15]

सभी राजाओं को अवश्य ही नरक देखना पड़ता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शांतिपर्व महाभारत 91.36
  2. शांतिपर्व महाभारत 95.22
  3. शांतिपर्व महाभारत 139.97
  4. शांतिपर्व महाभारत 139.100
  5. शांतिपर्व महाभारत 237.9
  6. शांतिपर्व महाभारत 267.25
  7. शांतिपर्व महाभारत 320.72
  8. शांतिपर्व महाभारत 320.161
  9. अनुशासनपर्व महाभारत 22.30
  10. अनुशासनपर्व महाभारत 61.29
  11. अनुशासनपर्व महाभारत 62.40
  12. अनुशासनपर्व महाभारत 84.2
  13. आश्वमेधिकपर्व महाभारत 86.2
  14. आश्रमवासिकपर्व महाभारत 3.36
  15. स्वर्गारोहणपर्व महाभारत 3.12

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः