रसस्वरूप श्रीकृष्ण परात्पर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार

वंदना एवं प्रार्थना

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राग आसावरी - तीन ताल


रसस्वरूप श्रीकृष्ण परात्पर, महाभावरूपा राधा।
प्रेम विशुद्ध दान दो, कर करुणा अति, हर सारी बाधा॥
सच्चा त्याग उदय हो, जीवन श्रीचरणोंमें अर्पित हो।
भोग जगत्‌की मिटे वासना, सब कुछ सहज समर्पित हो॥
लग जाये श्रीयुगलरूपमें मेरी अब ममता सारी।
हो अनन्य आसक्ति, प्रीति शुचि, मिटे मोह-भ्रम-तम भारी॥

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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