रमैया मैं तो थारे रँग राती। (टेक)
अउराँ के पिय परदेस बसत हैं, लिख-लिख भेजें पाती।
मेरे पिया मेरे हिये बसत हैं, गुंज करूँ दिन राती।।1।।
चूबा चोला पहिर सखी री, मैं झुरमुट रमबा जाती।
झुरमुट में मोहि मोहन मिलिया, खेल मिलूँ गलबाँही।।2।।
अउर सखी मद पी पी माती, मैं बिन पियाँ मदमाती।
प्रेम-भटी को मैं मद पीयो, छकी फिरूँ दिन राती।।3।।
सुरत निरत का दिवला सँजोया, मनसा पूरन बाती।
अगम-घानि का तेल सिंचाया, बल रही दिन राती।।4।।
दासी मीराँ के प्रभु गिरधर, हरि चरणाँ की दासी।।5।।[1]
राग - आसावरी : ताल - दीपचन्दी
(प्रेम, विरह)