मीराँबाई की पदावली
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ झरी = झड़ी, छोटी छोटी बूँदों की लगातार वर्षा (देखो - ‘कुंकुम अगर अरगजा छिरकहि भरहि गुलाल अबीर। नभ प्रसून झरि पुरी कोलाहल भइ मन भावति भीर’ - तुलसीदास )।
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