योगी | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- योगी (बहुविकल्पी) |
योगी भगवान कृष्ण ने कहा है कि योगस्थ या योगारूढ़ व्यक्ति वह है जो स्थितप्रज्ञ है और जो नींद में भी जागा हुआ रहता है।[1]
- यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार तो योग में प्रवेश करने की भूमिका मात्र है, इन्हें साधकर भी कई लोग इनमें ही अटके रह गए, लेकिन साहसी हैं वे लोग, जिन्होंने धारणा और ध्यान का उपयोग तीर-कमान की तरह किया और मोक्ष नामक लक्ष्य को भेद दिया।
- वेदों में जड़बुद्धि से बढ़कर प्राणबुद्धि, प्राणबुद्धि से बढ़कर मानसिक और मानसिक से बढ़कर 'बुद्धि' में ही जीने वाला श्रेष्ठ कहा गया है।
- योग का मूल मंत्र है चित्त वृत्तियों का निरोध कर मन के पार जाना। कुछ लोग आसन-प्राणायाम का अभ्यास करे बगैर भी उस स्थिति को प्राप्त कर लेते हैं, जिसको योग में समाधि कहा गया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज