यह हमकौं बिधना लिखि राख्‍यौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग सारंग


यह हमकौं बिधना लिखि राख्‍यौ।
नाउँ न गाउँ, कहाँ तैं आई, स्याम-अधर-रस चाख्‍यौ।।
यह दुख कहैं काहि, को जानै ऐसौ कौन? निवारै।
जो रस धरयौ कृपनि की नाई सो सब ऐसैंहि डारै।
यह दूषन वाही को कहियै, की हरिहूँ कौं दीजै।
सुनहु सूर कछु बच्यौ अधर रस, सो कैसैं करि लीजै।।1301।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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