विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दसप्तम अध्यायपुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ। पृथ्वी में पवित्र गन्ध और अग्नि में तेज हूँ। सम्पूर्ण जीवों में उनका जीवन हूँ और तपस्वियों में उनका तप हूँ। बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम्। पार्थ! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन कारण अर्थात् बीज मुझे ही जान। मैं बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वियों का तेज हूँ। इसी क्रम में योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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