विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दसप्तम अध्यायमनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये। हजारों मनुष्यों में कोई ही मनुष्य मेरी प्राप्ति के लिये यत्न करता है और उन यत्न करनेवाले योगियों में भी कोई विरला ही पुरुष मुझे तत्त्व (साक्षात्कार) के साथ जानता है। अब समग्र तत्त्व है कहाँ? एक स्थान पर पिण्डरूप में है अथवा सर्वत्र व्याप्त है? इस पर योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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