विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दप्रथम अध्याययदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः। यदि मुझ शस्त्ररहित, सामना न करने वाले को शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र रण में मारें तो उनका वह मारना भी मेरे लिये अतिकल्याणकारी होगा। इतिहास तो कहेगा कि अर्जुन समझदार था, जिसने अपनी बलि देकर युद्ध बचा लिया। लोग प्राणों की आहुति दे डालते हैं कि भोले-भाले मासूम बच्चे सुखी रहें, कुल तो बचा रहे। मनुष्य विदेश चला जाय, वैभवपूर्ण प्रासाद में रहे; किन्तु दो दिन बाद उसे अपनी छोड़ी हुई झोपड़ी याद आने लगती है। मोह इतना प्रबल होता है। इसीलिये अर्जुन कहता है कि शस्त्रधारी धृतराष्ट्र के पुत्र मुझ न प्रतिकार करने वाले को रण में मार दें, तब भी वह मेरे लिये अतिकल्याणकारी होगा ताकि लड़के तो सुखी रहें। |
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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