यथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दपंचम अध्याय
न कर्तृत्वं न कर्माणि लोकस्य सृजति प्रभुः।
प्रायः लोग कहते हैं कि करने-कराने वाले तो भगवान हैं, हम तो यन्त्रमात्र हैं। इमसे वे भला करावें अथवा बुरा। किन्तु योगेश्वर श्रीकृष्ण कहते हैं कि न वह प्रभु स्वयं करता है, न कराता है और न वह जुगाड़ ही बैठाता है। लोग अपने स्वभाव में स्थित प्रकृति के अनुरूप बरतते हैं। स्वतः कार्य करते हैं। वे अपने आदत से मजबूर होकर करते हैं, भगवान नहीं करते। तब लोग कहते क्यों हैं कि भगवान करते हैं? इस पर योगेश्वर बताते हैं-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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